भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में अब बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान के बाद चीन ने नरम रुख अपनाते हुए द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की प्रतिबद्धता जताई है।
चीन की प्रतिक्रिया
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन ने प्रधानमंत्री मोदी के सकारात्मक बयान को ध्यानपूर्वक नोट किया है और वह भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2023 में रूस के कजान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात से संबंधों में नई दिशा मिली है।
पीएम मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ चर्चा के दौरान कहा कि भारत-चीन सीमा पर हालात अब सामान्य हो चुके हैं और दोनों देशों के बीच लगातार संवाद जारी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पड़ोसी देशों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उनका समाधान बातचीत से ही संभव है।
संयुक्त सहयोग की वकालत
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भी भारत के साथ सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही है। उनका कहना है कि हाथी (भारत) और ड्रैगन (चीन) का साथ आना ही दोनों देशों के लिए सबसे उचित मार्ग है। चीन भारत के साथ 75वीं वर्षगांठ को एक अवसर के रूप में देखते हुए द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने का इच्छुक है।
क्या तनाव पूरी तरह खत्म हो जाएगा?
पूर्वी लद्दाख में 2020 की झड़पों के बाद भारत और चीन के संबंधों में तनाव बढ़ गया था। हालांकि, अब दोनों देश संवाद और शांति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। चीन के इस नए रुख को पीएम मोदी की कूटनीति का परिणाम माना जा सकता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग को अधिक महत्व दिया जाएगा।