यूक्रेन और रूस के बीच तीन वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण वार्ता होने जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार को इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। ट्रंप ने इसकी पुष्टि करते हुए संकेत दिया है कि इस बैठक से युद्ध समाप्ति की दिशा में ठोस नतीजे सामने आ सकते हैं।
वार्ता पर वैश्विक नजर
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, इस वार्ता के लिए पिछले कुछ हफ्तों से व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। वहीं, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भी वार्ता की पुष्टि की है, हालांकि उन्होंने इसके एजेंडे को गोपनीय रखने की बात कही है। यूरोपीय सहयोगी देशों ने इस बैठक को लेकर चिंता जताई है, विशेष रूप से ट्रंप के पुतिन के प्रति नरम रुख और यूक्रेन को लेकर उनकी सख्त नीतियों को देखते हुए।
युद्ध के प्रमुख विवादित क्षेत्र
2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर चार प्रमुख क्षेत्रों—डोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया—पर कब्जा जमा लिया था। हालांकि, इन क्षेत्रों पर रूस का पूर्ण नियंत्रण नहीं है। इसके अलावा, मास्को पहले ही 2014 में क्रीमिया को अपने में मिला चुका है। ट्रंप और पुतिन की वार्ता में इन विवादित क्षेत्रों पर चर्चा होने की संभावना है, जिसमें यूक्रेन की सेना की वापसी और नियंत्रण को लेकर समाधान खोजा जा सकता है।
संभावित समझौते और वार्ता के मुख्य बिंदु
ट्रंप ने संकेत दिया है कि युद्धविराम के लिए ऊर्जा और बिजली संयंत्रों से जुड़े मुद्दे भी बातचीत का हिस्सा होंगे। रूस वर्तमान में यूरोप के सबसे बड़े ज़ापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र को नियंत्रित करता है, जिसे लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कई बार चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस संयंत्र को लेकर कोई समझौता वार्ता की सफलता में अहम भूमिका निभा सकता है।
राजनयिक प्रयास और भविष्य की संभावनाएं
ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ हाल ही में मास्को गए थे, जहां उन्होंने वार्ता के संभावित ढांचे को तैयार किया। विटकॉफ के अनुसार, पुतिन ट्रंप के युद्ध समाप्ति के दृष्टिकोण को लेकर सकारात्मक रुख अपना सकते हैं। अब पूरी दुनिया की नजर इस बैठक पर टिकी है कि क्या यह तीन साल पुराने युद्ध को समाप्त करने में कोई ठोस परिणाम दे पाएगी।
यूक्रेन की स्थिति और संभावित चुनौती
हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि उनकी संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं होगा और रूस को कब्जे वाले क्षेत्रों को लौटाना होगा। ऐसे में, वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या पुतिन इस शर्त को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं या नहीं।
यदि ट्रंप और पुतिन किसी समाधान पर सहमत होते हैं, तो यह वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा घटनाक्रम होगा। लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह वार्ता वास्तविक शांति बहाली की दिशा में आगे बढ़ेगी या केवल एक कूटनीतिक प्रयास बनकर रह जाएगी।